Hello! This is a poem my nana papa composed when I was in Class I.
It shows us how even a small mouse can help a big mighty lion who was kind hearted and forgave the mouse magnanimously.
दया करने का फल
एक शेर था बलवान
बड़ा मेहरबान |
एक पेढ़ के नीचे जब शेर था सोया,
एक चूहा उस पर कूदा
तो शेर गुस्साया |
चूहे ने मांगी माफ़ी
तो शेर मुस्कराया,
चूहे को उसने अपना दोस्त बनाया ||
फिर आई विपदा भारी,
जब आया एक शिकारी |
शिकारी ने जाल फैलाया,
और शेर को फंसाया |
तब चूहा भागा आया |
जल्दी से जाल को काटा,
और शेर को छुडाया |
अपनी दया के फल से
शेर बहुत हर्षाया ||
Parth