पानी की कहानी – नानी की जुबानी
Hi in Class I this was the second poem that I recited. I got the second prize in it. Please enjoy that poem
देख के वर्षा की बूंदों को, बोली मेरी नानी,
क्या तुमको पता हैं बच्चो पानी की कहानी?
सूरज की गर्मी से बदले, भाप में, सागर पानी,
आसमान पर ऊपर जाकर, भाप बनी मस्तानी |
बनकर बादल, हवा से उढ़कर, यह हम पर छा जाये,
बिजली चमके, बादल गरजे, और हमें डराए |
हवा की ठंडक से बादल में, जल की बूंदे आयें,
और छमा छम बारिश का पानी, धरती पर आ जाये |
कुआं, ताल और झील के रूप में सब के मन को भाये,
या फिर नदिया बनकर फिर से सागर में खो जाये |
पानी का यह चक्र ही हम को देता जीवन दान,
हरा भरा धरती को करके, पानी हैं महान |
Parth