One of the old favourite stories of all children – Monkeys and the Topiwala. It reminds us that Presence of mind can save the day and show simple solutions.
एक सेठ था टोपी वाला
बहुत चतुर बहुत मतवाला
उसकी टोपी सितारों वाली
सबके मन को भाने वाली
मुख़ड़े को चमकाने वाली
मन में जोश जगाने वाली |
ऐसी टोपी का एक बड़ा सा गठ्ठर
लेकर चले सेठ जी जंगल के अन्दर |
चलते चलते थके सेठजी
पेड़ पर बैठे देखें बन्दर |
टोपी का गठ्ठर था भारी
सुस्ताने की करी तय्यारी |
पेड़ की छांव थी प्यारी प्यारी
सेठ ने गठ्ठर वहीं उतारी |
खा पी कर मन लगा ठिकाने
लेट कर लगे थकान मिटाने |
चुपके से बन्दर नीचे आए
गठ्ठर खोल बहुत हर्षाए |
टोपी पहन बहुत इठलाए
पेड़ पर जाकर धूम मचाए |
यह देख सेठजी चकराए
पर वह बिल्कुर न घबराए |
उन्होंने एक तरकीब लड़ाई
अपनी टोपी बन्दरों को दिखाई |
फिर टोपी से करने लगे इशारे
यह देख बन्दर भी उनकी नकल उतारे |
यह देख सेठजी मुस्काए
नकलची बन्दर समझ न पाए |
टोपी फेंक कर करी होशियारी
बन्दरों ने भी टोपी फेंक कर नकल उतारी |
सारी टोपी ज़मीन पर आई
देखो सेठजी की चतुराई |
कठिन समय हिम्मत न हारो
सोच समझ कर काम संवारों |
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