Sep 15 2012 (Nana ke Bol) Grapes are Sour! अंगूर खट्टे हैं एक बन्दर पेड़ पर बैठा अंगूरों को खाए नीचे बैठी लोमड़ी के “मुंह में पानी आए” | बिनती करने पर बन्दर ने फेंका एक अंगूर “ऊंट के मुंह में जीरे जैसा” लोमड़ी थी मजबूर | सोचा खुद ही अंगूरों की बगिया में मैं जाऊं ढेर से अंगूरों को लेकर खूब मज़े से खाऊँ | यह सोच वह बगिया पहुंची अंगूर लगे थे दूर उच्छल-उच्छल कर कोशिश करली पहुंचने में मजबूर | “अंगूर खट्टे हैं” खीज के बोली मन ही मन चुपके से रो ली | मुहावरों की इस कविता से मुझ को है बतलाना अच्छी चीज़ न मिलने पर बुरा न उसको कहना | लगातार कोशिश करने से संभव है उसको पाना || Share this:TwitterFacebookLike this:Like Loading... Related