(Nana ke Bol) Grapes are Sour!

अंगूर खट्टे हैं


एक बन्दर पेड़ पर बैठा

अंगूरों को खाए

नीचे बैठी लोमड़ी के

“मुंह में पानी आए” |

बिनती करने पर बन्दर ने

फेंका एक अंगूर

“ऊंट के मुंह में जीरे जैसा”

लोमड़ी थी मजबूर |

सोचा खुद ही अंगूरों की

बगिया में मैं जाऊं

ढेर से अंगूरों को लेकर

खूब मज़े से खाऊँ |

यह सोच वह बगिया पहुंची

अंगूर लगे थे दूर

उच्छल-उच्छल कर कोशिश करली

पहुंचने में मजबूर |

“अंगूर खट्टे हैं”

खीज के बोली

मन ही मन

चुपके से रो ली |


मुहावरों की इस कविता से

मुझ को है बतलाना

अच्छी चीज़ न मिलने पर

बुरा न उसको कहना |

लगातार कोशिश करने से

संभव है उसको पाना ||

 

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