(Nana-ke-Bol) Superstitions! (Dooms Day)

Did you believe in the dooms day? I did not and i was right.

Parth

‘मायान कैलेंडर’ में 21.12.12 के बाद

जब कुछ न दिया दिखाई

तो लोगों ने इसको ‘डूम्स दे’ कहकर

प्रलय की खबर उड़ाई ।

और धरती के एक विशाल ‘पिण्ड’

से टकराने की बात बताई

घुप अंधेरा/भूकम्प के झटके

और सुनामी होगी अति दुखदाई ।

ऐसी ख़बरों से साडी दुनिया सहमी-सहमी

मन ही मन घबराई

अन्तरिक्ष-अध्ययन से ‘नासा’ ने

उनकी यह दर्दनाक खबर ठुकराई ।

फिर भी लोगों के मन थे सहमे

जब तक ‘इक्कीस’ की सुबह न आई

सुबह के उगते सूरज के सुनहरे दर्शन कर

सब को चैन की सांस आई ।

ऐसी अफवाहों से अपने को

दूर रखने में ही है भलाई

नहीं तो हम सबको झेलनी पड़ सकती है

जग हंसाई ।

(Nana-ke-Bol) 12.12.12

On 12th December 2012 (12.12.12), there was lot of excitement all around – some spent the day in anticipation while others in fear. We had great fun and interrupted the class at 12 minutes past 12 on 12.12.12!

Vani

इक्कीस्वीं  सदी के बारहवें साल के

बारहवें महीने की बारहवी तिथि जब आई

तो मेरे मित्रों ने बारह बज कर

बारह मिनट और बारह सेकंड पर आवाज़ लगाई ।

आओ इस क्षण को याद रखने के लिए

एक शपथ लें मेरे भाई

‘संसार में शान्ति लाने का प्रण लेकर’

जग की करें भलाई ।

ऐसा कहकर मेरे मित्रों ने

जब मुझे पुकारा

तो शपथ लेने के साथ मैं ने भी

इसके महत्व को विचारा ।

इस क्षण को यादगार बनाने के लिए

किसी ने शादी रचाई

तो किसी ने अपने मालिक से कहकर

अपने लड़के की नौकरी लगवाई

किसी ने अपने बेबी को लाने की

‘डिलीवरी’ करवाई

तो किसी ने अपने नये व्यपार

की नींव डलवाई ।

पर क्या वाकई यह क्षण इतना महत्वपूर्ण है

या फिर हमारी आकान्क्षाओं से भरपूर है ?

शायद यादों को मन में रखने के लिए आदमी मजबूर है

और ऐसे क्षणों का इन्तज़ार करने में मशहूर है ।

INDIAN MUSIC: Hum hanse to desh ki shaan hai

 

Another song. I learnt it in school from Mala ma’am.

Parth

हम हसें तो देश की शान है
हम खिलें तो देश का मान है
फूल हैं हम सब इसी बाग के
स्वर हैं सब एक ही राग के
ला-ल्ल ला, ल्ल  ला, ल्ल ला, ला-ल्ल ला ।।

हम सितारे देश को चमकाएँगे
मीठी मीठी खुशबु भिखराएँगे 
गीत सभी मिलके यहाँ गाएँगे
प्यार का हमारा यहीं गान है ।
ला-ल्ल ला, ल्ल  ला, ल्ल ला, ला-ल्ल ला ।।

फूलों की खुशबू हमारी साँस में 
महक रहा देश इसी विश्वास में
पूरी करें मिलके उनकी आस ये
प्यार का हमारा यही गान हैं ।
ला-ल्ल ला, ल्ल  ला, ल्ल ला, ला-ल्ल ला ।।

INDIAN SONGS: Bharat desh hamara hai

 

Hello

We added a new category today – we will share Indian songs !

Here is the 1st song – i learnt it at Tansen Sangeet Mahavidyalaya.

Parth

भारत देश हमारा है
हमे जान से प्यारा है
हम इसपे जान लुटाएँगे  ।।

ला ला ला
पक्का एक इरादा है
सच्चा नेक इरादा है
करके कमाल दिखाएँगे  ।
ला ला ला
हिन्दुस्तान मे रहते हैं
हिन्दी  भाषा कहते हैं
हिन्दुस्तान मे रहते हैं
हिन्दी भाषा कहते हैं ।
हम हिन्दू हैं हिन्दू रहेंगे ।।

भारत देश हमारा है
हमे जान से प्यारा है
हम इसपे जान लुटाएँगे  ।
हम गाँधी  जी के आदर्शों पर चलेंगे
हाँ हाँ चलेंगे । हाँ हाँ चलेंगे ।
पर बोस भगत के संरक्षण में पलेंगे
हाँ हाँ पलेंगे । हाँ हाँ पलेंगे ।
हिन्दू ही कहलाए थे
हिन्दू ही कहलाएँगे  ।
हम हिन्दू हैं हिन्दू रहेंगे ।।

भारत देश हमारा है
हमे जान से प्यारा है
हम इसपे जान लुटाएँगे ।।
हम हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई
जो भी हैं हाँ जो भी हैं हाँ
हम हिन्दुस्तान में रहते हिन्दू सभी हैं
हाँ हाँ सभी हैं, हाँ हाँ सभी हैं
सिंध से सिन्धु हुए थे
हिन्द से हिन्दू हुए हैं
हम हिन्दू हैं हिन्दू रहेंगे ।।

भारत देश हमारा है
हमे जान से प्यारा है
हम इसपे जान लुटाएँगे  ।।

(Nana-ke-Bol) The two Parrots

Enjoy the story!

Vani

संगति के रूप

वट वृक्ष पर एक तोते के

दो बच्चे  थे प्यारे

धीरे – धीरे आँखें खोलके

लगते न्यारे – न्यारे |

पंखों में ताकत आने पर

उड़ने को तैयार

ज़ोर की आँधी तूफ़ान ने आकर

उन पर किया प्रहार |

दोनों अलग हुए एक दूजे से

मिलना था दुश्वार

एक पहुँचा साधु आश्रम

दूसरा डाकू द्वार |

दोनों की संगति ने बदले

उन दोनों के विचार

साधु आश्रम वाले तोते ने

अच्छी  संगति पाई

मधुर वणी से हर्षित करने की

अछी आदत उपजाई |

डाकू के घर रहने वाला  तोता

सीखा गन्दी बातें

गली – गलौच, हिंसक वाणी को सुन

सब उससे कतराते |

फिर ऐसा संयोग तो देखो

भाग्य ने पलटा मारा

एक बहेलिए के जाल में फंस कर

दोनों मिले दोबारा

आपस में मिलकर दोनो ही

मन ही मन मुस्काए |

परन्तु दोनो की वाणी से

संगीत का अंतर समझ में आए

इस अन्तर को देख बहेलिए ने उनकी

कीमत यूं लगाई |

सुसंगति के मांगे पांच हज़ार

कुसंगति के पांच रुपाई ।

रहस्यमय पक्षी कह कर दोनो को

एक साथ बेचने की शर्त भी साथ लगाई

कीमत अधिक समझ कर लोगों ने

उनकी खरीद ठुकराई |

रहस्यमय पक्षी की खबर

जब राजा तक आइ

तो मंत्री से बोल तोतों की जोड़ी

महल में मंगवाई ।

रहस्य पूछने पर बहेलिए ने

सुबह तक बतलाने की मोहलत पाई

सुबह तोतों की वाणी को सुनकर

राजा की समझ में आइ

कटु-वचन कहने वाले तोते को

मौत की सज़ा सुनाई |

तब सतसंगी तोते ने राजा से

क्षमा की गुहार लगाई

और कुसंगी भाई को सुसंगत

करने की कसम दिलवाई

राजा ने क्षमा कर तोते को

लोगों को समझाया

संगति के दोनो रूप दिखला कर

सुसंगति का मार्ग बताया ।

(Nane-ke-Bol) Ishwar Chandra Vidyasagar

Vidyasagar means ‘Ocean of Learning’!

Born as Ishwar Chandra Bandopadhyay, he received the title ‘Vidyasagar’ from the Calcutta Sanskrit College due to his excellent performance in Sanskrit studies and philosophy.

His quest for learning and knowledge is inspiring!

Vani

‘ईश्वर चन्द्र विद्यासागर’ की ऐसी थी जिन्दगानी

जिसको याद कर हर्षित होते, सारे हिन्दुस्तानी ।

गरीबी से ऊपर उठने की, अपनी एक कहानी

हिम्मत और लग्न के बल पर ही, बन गए परम-ज्ञानी ।।

ईश्वर चन्द्र छोटा सा बालक

बहुत ही होनहार

गरीबी के आलम में डूबा

पढ़ना था दुश्वार ।

पढ़ने की इच्छा थी मन में

कैसे पाएं पर

मित्रो की पुरानी पुस्तकों में ढूंडा

पढ़ने का आधार ।

कोयले से ज़मीन पर लिखकर

पाया अक्षर ज्ञान

उनकी लग्न को देख पिता ने

भेजा संस्कृत संस्थान ।

पढ़ने में अव्वल था बालक

शिक्षक थे हैरान

निशुल्क शिक्षा देकर गुरूओं ने

पाया उससे मान ।

खाली  समय मज़दूरी करके

चलाया अपना काम

ऐसे कठिन समय भी उसके

मुख पर थी मुस्कान ।

उन्नीस साल की उम्र में ही पाया

उच्च्तम शिक्षा ज्ञान

‘विद्यासागर’ की उपाधि से सज्जित कर

सब ने दिया सम्मान ।

मेहनत और लग्न ही जग में, रखते अपने मानी

ऊँच -नीच का भेद मिट जाए, विद्वता ही कल्यानी ।

ईश्वर चन्द्र विद्यासागर की ऐसी थी जिन्दगानी

जिसको याद कर हर्षित होते, सारे हिन्दुस्तानी ।

सादा जीवन, उच्च विचार

उनके जीवन के आधार |

विद्यार्जन ही उनकी पूजा

विद्यादान ही मुख्य विचार |

कालान्तर में ‘प्रिंसिपल’ बनकर

शिक्षा में लाए उचित सुधार |

नए साहित्य का सृजन करके

जग को दिए उच्च विचार ||

‘बंगला लिपि’ का संशोधन कर

बंगला साहित्य को दिया उपहार |

स्त्री-शिक्षा के प्रेरक बनकर

नारी जाती का किया उद्धार |

विधवा-विवाह के समर्थक बनकर

उनकी सुनी दुखित पुकार ||

दीन दुखियों के कष्ट मिटा कर, सेवा मन में ठानी

‘विद्या’ और ‘सेवा’ का संगम, देखें जग के प्राणी

ईश्वर चन्द्र विद्यासागर की ऐसी थी जिन्दगानीजिसको याद कर हर्षित होते, सारे हिन्दुस्तानी ।

(being Indian) We are all ONE!

 

This poem written by Harivansh Rai Bachchan (Amitab Bachchan’s father) reminds us that all boundaries have been created by man and we are all one.

We learnt this poem in school – it is part of our hindi syllabus and we have a test on tuesday.

Vani

भूल गया हैं क्यों इनसान

भूल गया हैं क्यों इनसान !
सबकी है मिट्टी की काया
सब पर नभ की निर्मल छाया
यहाँ नहीं कोई आया है
ले विशेष वरदान
भूल गया हैं क्यों इनसान !

धरती ने मानव उपजाए
मानव ने ही देश बनाए
बहु देशों में बसी हुई है
एक धरा संतान
भूल गया हैं क्यों इनसान !

देश अलग है
देश अलग हो
वेश अलग है
वेश अलग हो
मानव का मानव से लेकिन
अलग न अंतर-प्राण
भूल गया हैं क्यों इनसान !