On Mahavir Jayanti today, lets hear his story..
Parth & Vani
तीन दशकों के राजसी सुख में भी
जब ‘वर्धमान’ न समझे ‘जीवन का राज़’
सत्य की खोज में तब निकले वह
करके संसारिक विषयों का त्याग |
कपड़ों तक को छोड़ दिया
और आत्मिक-चिन्तन का किया अभ्यास
बारह वर्ष तक साधना-रत रहकर
अन्तर-मन में हुआ प्रकाश |
देवत्व पहचान लोगों ने उनको
‘महावीर’ का नाम दिया
चौबीसवें और अन्तिम तीर्थंकर बने वह
जैन-धर्म का संगठित किया |
आज महावीर जयन्ती के रूप में
उनका जन्म दिन मनाएं हम
उनके विचारों को याद करें
और उनकी शिक्षा गाएं हम |
संसारिक खुशियां ‘क्षण-भंगुर’ हैं
‘ईश’ में ध्यान लगाओ तुम
कर्म-बन्धन से मुक्ति पाने को
उचित चरित्र अपनाओं तुम |
ईश-तत्व पहचानो सब में
अहिंसा को अपनाओं तुम
सत्यता की राह चलो और
चोर्य-कर्म को त्यागों तुम |
ब्रह्मचर्य का आदर करके
परिग्रह करना छोड़ो तुम
अहंकार-भाव को त्यागो मन से
क्षमा का भाव जगाओ तुम |
पाप-प्रवृति छोड़ो मन से
धर्म-परायण बन जाओ तुम
सब प्राणियों का आदर करके
प्रेम भाव जगाओ तुम |
स्त्री-पुरुष का भेद मिटाकर
समानता भाव उपजाओ तुम
वैसा ही व्यवहार करो औरों से
जैसा उनसे चाहो तुम |
‘महावीर जी’ के वचनो को याद कर
श्रद्धा सुमन चढ़ाएं हम
जीवन-पथ को आलोकित कर
अंधियारा दूर भगाएं हम |