(Nana-ke-Bol) On Janamashtmi today…

On Janamashtmi today, let us remember Lord Krishna’s teachings…

जन्माष्टमी के अवसर पर 

श्री कृष्ण की शरण में आ जाओ 

और उन में अपना ध्यान लगाओ 

गीता-ज्ञान सुनाकर सब को 

प्रभु को श्रद्धा-सुमन चढ़ाओ |

और प्रेम से सारे मिलकर बोलो 

श्री कृष्ण शरणं नम:, श्री कृष्ण शरणं नम: |

महाभारत युद्ध समय जब, मोहवश अर्जुन घबराया 

तो श्री कृष्ण ने प्रेम से उसको यूं समझाया 

आत्मा तो सदा अमर है 

पर नश्वर है यह, पांच तत्वों की काया 

काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह वश 

जिस मानव का जीवन भरमाया 

और आसक्ति के बन्धन में पड़कर 

जब वह लड़ने को आया 

तो उससे बन्धन तोड़ के बोलो 

श्री कृष्ण शरणं नम:, श्री कृष्ण शरणं नम: |

ध्यान योग से बुद्धि को बलवान करो 

उत्तम ज्ञान अर्जित करके कर्मों की पहचान करो 

फल की इच्छा छोड़ के केवल 

सत्कर्मों में ही विश्वास करो |

स्थिर- बुद्धि वाला बनकर 

धर्म की पहचान करो 

धर्म-युक्त विश्वास से बोलो 

श्री कृष्ण शरणं नम:, श्री कृष्ण शरणं नम: |

ज्ञान की ज्योति जलाकर मन में 

कर्म के रूपों  को पहचानो 

कर्म, विकर्म, अकर्म को समझो 

धर्म युक्त कर्मों की ठानो  |

काम-क्रोध- मोह के वश में 

जो अपना धर्म न पहचाने 

और सारे उचित व्यवहार मिटा कर 

तुम से लड़ने की ठाने

उससे धर्म-स्थापना हेतु लड़कर बोलो 

श्री कृष्ण शरणं नम:, श्री कृष्ण शरणं नम: |

प्रभु के रूप को सब में जानो 

सबमें उसकी छवि पहचानो 

सूर्य की भान्ति अलिप्त रूप में 

सब में उसे आलोकित मानो 

उससे ही तुम शक्ति पाओ 

और शुभ कार्यों में लग जाओ |

सात्विक भोजन कर अपने में 

सात्विक भाव ही जगाओ 

सात्विकता  को समझ के बोलो 

श्री कृष्ण शरणं नम:, श्री कृष्ण शरणं नम: |

श्रृष्टि-रचना से सब कार्य केवल 

प्रभु शक्ति से ही चलते हैं 

मानव कर्मों के फल भी केवल 

प्रभु-न्याय से ही मिलते हैं |

कर्म करने का अधिकार है तुमको 

फल का कोई अधिकार नहीं 

सात्विक भाव से कार्य को करना 

लेना कोई प्रतिकार नहीं |

फल की इच्छा त्याग कर बोलो 

श्री कृष्ण शरणं नम:, श्री कृष्ण शरणं नम: |

आसक्ति युक्त कर्म करोगे तो 

वैसे ही फल पाओगे 

उन्हीं भावों को लेकर तब तुम 

मृत्यु शय्या से जाओगे 

और उन्हीं भावों के फल से उपजित 

नए जीवन को पाओगे |

और ऐसे तुम जन्म-जन्म के 

चक्र में घूमते  जाओगे 

आसक्ति के बन्धन तोड़  के बोलो 

श्री कृष्ण शरणं नम:, श्री कृष्ण शरणं नम: |

कर्म के भेदों को समझो और 

निष्काम कर्म में चित लगाओ 

यज्ञ-ताप-दान के कर्मों से 

प्रभु के कार्यों में हाथ बंटाओ |

कर्मफल की चिंता छोड़ के

मन में सात्विक भाव जगाओ 

कर्ताभाव का त्याग करके 

भ्रह्म रूप में ही मिल जाओ |

ऐसे प्रभु में रम कर बोलो 

श्री कृष्ण शरणं नम:, श्री कृष्ण शरणं नम: |

INSIGHTS: Knowledge increases by Sharing

In today’s world where everyone believes that Knowledge is power, we should remember the words from our scriptures…

सरस्वती के भण्डार की बड़ी अनोखी बात |

ज्यों-ज्यों खर्चे त्यों-त्यों बढ़े बिन खर्चे घट जात  ||

Translation:

The treasure of knowledge has a remarkable uncommon characteristic, more the knowledge is shared, more it increases; if hoarded it just decreases!

(Nana-ke-Bol) Ramzan And Eid

Hello

Nana told us about Ramzan and Eid yesterday…

Vani

रमज़ान का महीना आया 

तो इबादत का पैगाम लाया 

मुसलमान भाइयों के दिलों में 

नेकी का एहसास दिलाया 

दिन भर का उपवास करा कर 

नमाज़ से मन को शुद्ध कराया 

इबादत और प्यार के संगम से 

सब धर्मों से आदर पाया 

रात को तरावी के माध्यम से 

खुदा की रहमत का गुण गाया |

 

रमज़ान की इबादत खत्म हुई 

तो ‘दूज का चांद’ नज़र में आया 

‘ईद-मुबारक’ के साथ-साथ 

खुशियों का माहौल सब में छाया 

नए-नए कपड़ों में सज कर 

‘ईद-मुबारक’ का जशन मनाया 

मस्जिद में नमाज़ पढ़ी और 

सबको प्यार से गले लगाया 

सेवइयाँ  और पकवान खिलाकर 

मेजबानी का लुत्फ उठाया 

भेद भाव मिटा कर मन से 

मित्रता और शान्ति का सन्देश सुनाया |