(Nana-ke-Bol) Why do we shout when we are angry?

क्रोध 

दो शिष्यों के ज़ोर-ज़ोर से बोलकर 

‘क्रोध’ करने पर, गुरूजी ने समझाया |

‘क्रोध में’ मानव मन को – दूसरा 

बहुत दूर नज़र में आया 

इसी लिए दूसरे को दूर जान 

वह ‘क्रोध’ में ज़ोर से चिल्लाया |

और दूसरा भी उसी रूप में 

क्रोध से गुर्राया |

जबकि शरीरिक-रूप से उनकी 

समीपता में कोई अन्तर समझ न आया |

और ऐसे ही केवल मन की दूरी से 

वह क्रोध में भरमाया |

क्रोध के क्षण चुप रहना ही उत्तम है 

और शान्ति से मन को समीप लाना ही उत्तम है |

समीपता से क्रोध का एहसास कम होता है 

और शान्ति से क्रोध की व्यर्थता का आभास होता है 

(Nana-ke-Bol) Ganesh Chaturthi reminds us of the power of forgiveness…

गणेश चतुर्थी 

भाद्र पद के शुक्ल-पक्ष की चतुर्थी को 

गणेश जी का जन्म मनाया 

उनकी भव्य मूर्ती के दर्शन से 

‘प्रबन्धन’ के गुणों को अपनाया |

शुभ-फलदायक, कष्ट निवारक 

विघ्न-विनाशक रूप में उन्हें ध्याया 

‘श्री गणेशाय नम:’ का जापकर 

लड्दुवन का भोग लगाया |

इस दिन ‘सुन्दरता’ पर गर्वित चन्द्रमा ने जब 

श्री गणेश जी की आकृति का उपहास उड़ाया 

तो ‘अहंकार मर्दन’ हेतु उसको श्रापित कर 

श्री गणेश ने उन के दर्शन को अशुभ कराया |

जब चन्द्र दर्शन की अशुभता से 

संसार पर ‘कलंक’ का अन्धकार छाया 

तो चन्द्रमा को अपनी 

‘अहंकारिता’ पर पछतावा  आया |

तब तपस्या और साधना में रत होकर वह 

‘क्षमा याचना हेतु’ श्री गणेश जी की शरण में आया 

तब उन्हों ने क्षमा भाव से केवल इसी तिथि के 

‘चन्द्र-दर्शन’ को दोषी ठहराया |

और बाकि दिनों का ‘चन्द्र दर्शन’

सौम्यता पूर्ण बतलाया,

तथा ‘दूज के चाँद’ के दर्शन से 

सभी चन्द्र दोषों से मुक्ति पाने का भेद बताया |

इस पर्व को समझो और अपने 

‘अहंकार’ से मुक्ति पाना सीखो 

श्रृष्टि के हर रूप का आदर कर के 

‘क्षमा दान’ भी करना सीखो |

क्षमा का एह भाव भी ‘जैन धर्म’ में सिखलाया जाता 

और उसको ‘क्षमा वाणी’ पर्व में इन्हीं दिनों मनाया जाता |

(Nana-ke-Bol) Our teachers help us to find ourselves!

On teacher’s day let us salute our teachers… and follow their teachings.

राम और लक्षमण जब पढ़ने को 

पहुंचे गुरु वशिष्ठ के द्वार 

तो बन्द द्वार पर दस्तक हेतु 

उन्हों ने किया सहज प्रहार 

दस्तक सुन गुरु वशिस्ठ ने पूछा 

‘कौन है’ उस द्वार के पार |

‘यही जानने तो आए हैं गुरुवर’

कृप्या करें हमारा उद्धार |

उत्तर सुन गुरु वशिष्ठ हर्षाए 

प्रेम से किया गुरु पद स्वीकार 

अध्यापक दिवस के अवसर पर उनको 

याद करें हम बारबार |

‘गु’ का मतलब अन्धकार है 

‘रु’ का अर्थ प्रकाश 

दोनो मिलकर ‘गुरु बना है 

जो दूर करे मन का अन्धकार |

हमको अपनी पहचान कराए 

और बतलाए जीवन का आधार |