(Nana-ke-Bol) 03.11.2013

वाणी के शब्दों में

इस वर्ष दिवाली जब आइ

तो मेरा जन्म-दिन भी साथ में लाई

तीन नवम्बर के दिन मुझ को

सबने दी सस्नेह बधाई ।

 

‘बाल-पन’ अब पीछे छूटा

‘यौवन’ ने आ ली अंगराई

सहेलियों के संग दीप सजाए

रंगोली के रंग बिखराए ।

 

गणेश-पूजन की करी तैयारी

मन में भक्ति-भाव जगाए

‘राम दरबार’ सज़ा के घर में

राम गुणों को मन में लाए ।

 

‘लक्ष्मी जी’ के अवतरण दिवस पर

लक्ष्मी जी को फूल चढ़ाए

विधि-विधन से पूजा कर के

स्नेह जनों से उफ़ार पाए ।

 

जीवन में कभी-कभी ही, ऐसा अवसर आता है

जब जन्म दिन के साथ प्रभु-प्रसाद भी जुड़ जाता है

और दीपों की जगमग ज्योति से

मन का अंधियारा मिटा जाता है।

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