(Nana-ke-Bol) On Ram Navmi…

श्री रामचन्द्र जी के जन्म दिन पर 

कर लो उन्हें प्रणाम 

बोलो राम-राम-राम, बोलो राम-राम-राम । 

माता पिता के आज्ञाकारी 

ज्ञानवान और शक्तिधारी 

प्रसन्न वदन और सदाचारी 

जन-जन के थे वह हितकारी 

रामचन्द्र गुण ग्रहण करो 

कर लो उनका गान 

बोलो राम-राम-राम, बोलो राम-राम-राम । 

उनका जीवन बड़ा निराला 

भ्रातृ प्रेम समझाने वाला 

माया मोह छुड़ाने वाला 

सुख-दुःख में साथ निभाने वाला 

उनको आदर्श मान कर मन में 

कर लो उनका ध्यान 

बोलो राम-राम-राम, बोलो राम-राम-राम । 

ऊँच नीच न माने भाई 

जन-जन को इज़ज़त दिलवाई 

प्रजा रहे सदा सुख दाई 

अपनी मर्यादा सदा निभाई 

मर्यादा पुरुषोत्तम राम से सीखो 

करना अच्छा कम 

बोलो राम-राम-राम, बोलो राम-राम-राम । 

(Nana-ke-Bol) On Navratri…

चैत्र-मास के शुक्ल पक्ष ने जब 

‘नव-वर्ष'(1) में प्रवेश किया 

नई-नई कोपलों के संग पेड़ों पर 

प्रकृति ने श्रृंगार किया |

किसानों की फसलों ने पक कर 

उज्जवल भविष्य का इज़हार किया 

नव-सृजन के मातृत्व-रूप को देख 

तब मानव ने प्रणाम किया |

‘माँ’ भगवती के नौ रूपों का 

नवरात्री में आह्वान किया 

मन-वाणी को शुद्ध किया 

सात्विक भाव स्वीकार किया |

बुराइयों को दूर भगाकर 

मानवता से प्यार किया |

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(१) “२०६७ वर्ष पूर्व विक्रमादित्य ने इस दिन 

‘विक्रम संवत्सर’ का प्रारम्भ किया 

भारतीय नव-वर्ष रूप में तब 

सब ने इस को भी सम्मान दिया 

(Nana-ke-Bol) Why is the needle bigger than the scissors?

क दर्ज़ी था बड़ा निराला 

करता था वह अजब सिलाई 

सारे उसकी कारीगिरी देख कर 

करते उसकी खूब बढ़ाई  |

उस की एक आदत थी न्यारी 

आश् चर्य में डाले सब को भाई 

‘सुई’ को टोपी पर टांके 

पर रखता ‘कैंची’ पैर दबाई |

हैरानी से लोगों ने पूछा 

ऐसा क्यों करते हो भाई 

दर्ज़ी ने तब सुन्दर शब्दों में 

लोगों को यह बात समझाई |

‘सुई से हम जोड़ना सीखें’

‘कैंची की कट’ है दुःखदाई 

जोड़ने वाले को इज़ज़त करके 

उसको ऊपर जगह दिलाई 

काटने वाले से चौकस रेह्कर 

वश में रखता उसको भाई |

‘जिसने मिलाने का गुर सीखा’

छोटा होकर भी  बढ़ जाई 

‘काटने वाला’ ज़रूरी हो तब भी 

वैसी इज़ज़त कभी न पाई |